दक्षिणावर्ती शंख के फायदे
पुराणों एवं शास्त्रों में शंख को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है । आज भी पूजा-पाठ के दौरान शंख रखने का प्रचलन है । कई घरों में संध्या काल में शंख बजाने की भी परम्परा है । हमारे आसपास कई तरह के शंख प्रचलित है । पर मुख्य रूप से शंख दो प्रकार के माने गए हैं । पहला शंख वह है, जो पूजा-पाठ के दौरान उपयोग में लाया जाता है और दूसरा शंख वह है, जिसे पूजा स्थान पर रखा जाता है । ऐसे शंखो में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व बताया गया है । शास्त्रों के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के उपरांत हुई थी, जिसे भगवान विष्णु न अपने दाहिने में रखा । इसलिए माना जाता है कि अगर दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखा जाये, तो सुख-समृद्धि आती है । हालांकि आज यह शंख काफी दुर्लभ है और इसके नाम पर दूसरे शंखो को प्रचलित किया गया है ।
पर जिस घर में असली दक्षिणावर्ती शंख होता है, लक्ष्मी उस घर में निवास करती है । यदि शुभ मुहूर्त में अपने घर के पूजन स्थल पर इस दक्षिणावर्ती शंख को स्थापित करके पूजा की जाये, तो सम्पूर्ण दरिद्रता दूर हो जाती है । इस शंख से भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक एवं पारिवारिक कष्ट दूर होतें है ।
साथ ही उसके मान – सम्मान एवं प्रतिष्ठा में बढोत्तरी होती है । इसे घर में रखने से उस घर पर किसी तरह के जादू-टोने या अभिचार कृत्यों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता । महर्षि विश्वामित्र न स्वयं ने इस शंख को लाभप्रद बताया है । अगर इसे धान्य के साथ रखा जाये, तो उस घर में सम्पन्नता आती है ।